हिन्दू धर्म में
गाय, कौए, कुत्ते, चींटी और सांप को अन्य पशु और पक्षियों की अपेक्षा अधिक
महत्व दिया गया है, जबकि इनमें से कुत्ते और सांप को यहूदी धर्म से निकले
धर्म के लोग शैतानी शक्ति का मानते हैं। आखिर क्यों? इस्लाम की तरह हिन्दू
धर्म में भी कुत्ता पालना वर्जित है। प्रत्येक प्राणी में जहां नकारात्मक
गुण हैं, वहीं उसमें सकारात्मक गुण भी होते हैं। हिन्दू धर्म में प्रत्येक
प्राणी के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही गुणों की चर्चा की गई है।
कुत्ता किसे पालना चाहिए और किसे नहीं? इसके बारे में भी स्पष्ट लिखा है।

प्रत्येक हिन्दू घर में जब भोजन बनता है तो पहली रोटी गाय के
लिए और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए होती है। भोजन करने के पूर्व अग्नि को
उसका कुछ भाग अर्पित किया जाता है जिसे अग्निहोत्र कर्म कहते हैं।
प्रत्येक हिन्दू को भोजन करते वक्त थाली में से 3 ग्रास (कोल) निकालकर अलग रखना होता है। यह तीन कोल ब्रह्मा, विष्णु और महेश के लिए या मन कथन के अनुसार गाय, कौए और कुत्ते के लिए भी रखा जा सकता है। यह भोजन का नियम है। फिर अंजुली में जल भरकर भोजन की थाली के आसपास दाएं से बाएं गोल घुमाकर अंगुली से जल को छोड़ दिया जाता है। अंगुली से छोड़ा गया जल देवताओं के लिए और अंगूठे से छोड़ा गया जल पितरों के लिए होता है। प्रतिदिन भोजन करते वक्त सिर्फ देवताओं के लिए जल छोड़ा जाता है।
गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी क्यों हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माने गए हैं। इनको अन्न देने से क्या लाभ होगा? आखिर क्या है इनका रहस्य?
प्रत्येक हिन्दू को भोजन करते वक्त थाली में से 3 ग्रास (कोल) निकालकर अलग रखना होता है। यह तीन कोल ब्रह्मा, विष्णु और महेश के लिए या मन कथन के अनुसार गाय, कौए और कुत्ते के लिए भी रखा जा सकता है। यह भोजन का नियम है। फिर अंजुली में जल भरकर भोजन की थाली के आसपास दाएं से बाएं गोल घुमाकर अंगुली से जल को छोड़ दिया जाता है। अंगुली से छोड़ा गया जल देवताओं के लिए और अंगूठे से छोड़ा गया जल पितरों के लिए होता है। प्रतिदिन भोजन करते वक्त सिर्फ देवताओं के लिए जल छोड़ा जाता है।
गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी क्यों हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माने गए हैं। इनको अन्न देने से क्या लाभ होगा? आखिर क्या है इनका रहस्य?
कुत्ते का रहस्य...
यमदूत : इस्लाम के अनुसार जिस घर में कुत्ता होता है वहां फरिश्ते नहीं जाते- (सहीह मुस्लिम हदीस नं 2106)। हिन्दू धर्म के
पुराणों में कुत्ते को यम का दूत कहा गया है। ऋग्वेद में एक स्थान पर
जघन्य शब्द करने वाले श्वानों का उल्लेख मिलता है, जो विनाश के लिए आते
हैं।
भैरव महाराज का सेवक : कुत्ते को हिन्दू देवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता है। कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं। मान्यता है कि कुत्ते को प्रसन्न रखने से वह आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है। कुत्ते को देखकर हर तरह की आत्माएं दूर भागने लगती हैं।
कुत्ते की योग्यता : दरअसल कुत्ता एक ऐसा प्राणी है, जो भविष्य में होने वाली घटनाओं और ईथर माध्यम (सूक्ष्म जगत) की आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है। कुत्ता कई किलोमीटर तक की गंध सूंघ सकता है। कुत्ते को हिन्दू धर्म में एक रहस्यमय प्राणी माना गया है, लेकिन इसको भोजन कराने से हर तरह के संकटों से बचा जा सकता है।
क्यों पालते हैं कुत्ता? : कुत्ता एक वफादार प्राणी होता है, जो हर तरह के खतरे को पहले ही भांप लेता है। प्राचीन और मध्य काल में पहले लोग कुत्ता अपने साथ इसलिए रखते थे ताकि वे जंगली जानवरों, लुटेरों और भूतादि से बच सके। बंजारा जाति और आदिवासी लोग कुत्ते को पालते थे ताकि वे हर तरह के खतरे से पहले ही सतर्क हो जाएं। भारत में जंगल में रहने वाले साधु-संत भी कुत्ता इसीलिए पालते थे ताकि कुत्ता उनको खतरे के प्रति सतर्क कर दे। आजकल लोग घर में कुत्ता इसलिए पालते हैं कि वह उनके घर की चोरों से रक्षा कर सके। लेकिन कुत्ता पालना खतरनाक भी हो सकता है और फायदेमंद भी इसलिए कुत्ता पालने से पहले किसी धर्मज्ञ और लाल किताब के विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें। कुत्ता आपको राजा से रंक और रंक से राजा बना सकता है।
कुत्ते से जुड़े शकुन-अपशकुन :
भैरव महाराज का सेवक : कुत्ते को हिन्दू देवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता है। कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं। मान्यता है कि कुत्ते को प्रसन्न रखने से वह आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है। कुत्ते को देखकर हर तरह की आत्माएं दूर भागने लगती हैं।
कुत्ते की योग्यता : दरअसल कुत्ता एक ऐसा प्राणी है, जो भविष्य में होने वाली घटनाओं और ईथर माध्यम (सूक्ष्म जगत) की आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है। कुत्ता कई किलोमीटर तक की गंध सूंघ सकता है। कुत्ते को हिन्दू धर्म में एक रहस्यमय प्राणी माना गया है, लेकिन इसको भोजन कराने से हर तरह के संकटों से बचा जा सकता है।
क्यों पालते हैं कुत्ता? : कुत्ता एक वफादार प्राणी होता है, जो हर तरह के खतरे को पहले ही भांप लेता है। प्राचीन और मध्य काल में पहले लोग कुत्ता अपने साथ इसलिए रखते थे ताकि वे जंगली जानवरों, लुटेरों और भूतादि से बच सके। बंजारा जाति और आदिवासी लोग कुत्ते को पालते थे ताकि वे हर तरह के खतरे से पहले ही सतर्क हो जाएं। भारत में जंगल में रहने वाले साधु-संत भी कुत्ता इसीलिए पालते थे ताकि कुत्ता उनको खतरे के प्रति सतर्क कर दे। आजकल लोग घर में कुत्ता इसलिए पालते हैं कि वह उनके घर की चोरों से रक्षा कर सके। लेकिन कुत्ता पालना खतरनाक भी हो सकता है और फायदेमंद भी इसलिए कुत्ता पालने से पहले किसी धर्मज्ञ और लाल किताब के विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें। कुत्ता आपको राजा से रंक और रंक से राजा बना सकता है।
कुत्ते से जुड़े शकुन-अपशकुन :
* कुत्ते के भौंकने और रोने को अपशकुन माना जाता है। कुत्ते के भौंकने के कई कारण होते हैं उसी तरह उसके रोने के भी कई कारण होते हैं, लेकिन अधिकतर लोग भौंकने या रोने का कारण नकारात्मक ही लेते हैं।
* अपशकुन शास्त्र के अनुसार श्वान का गृह के चारों ओर घूमते हुए क्रंदन करना अपशकुन या अद्भुत घटना कहा गया है और इसे इन्द्र से संबंधित भय माना गया है।
* सूत्र-ग्रंथों में भी श्वान को अपवित्र माना गया है। इसके स्पर्श व दृष्टि से भोजन अपवित्र हो जाता है। इस धारणा का कारण भी श्वान का यम से संबंधित होना है।
* शुभ कार्य के समय यदि कुत्ता मार्ग रोकता है तो विषमता तथा अनिश्चय प्रकट होते हैं।
* कुत्ते को प्रतिदिन भोजन देने से जहां दुश्मनों का भय मिट जाता है वहीं व्यक्ति निडर हो जाता है।
* अंत में कुत्ते के बारे में एक बात और... वह यह कि कुत्ता पालने से लक्ष्मी आती है और कुत्ता घर के रोगी सदस्य की बीमारी अपने ऊपर ले लेता है।
* यदि संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो काले कुत्ते को पालने से संतान की प्राप्ति होती है।
* ज्योतिषी के अनुसार केतु का प्रतीक है कुत्ता। कुत्ता पालने या कुत्ते की सेवा करने से केतु का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है। पितृ पक्ष में कुत्तों को मीठी रोटी खिलानी चाहिए।
कौए का रहस्य...
कौआ : कौए
को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है। पुराणों की
एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने अमृत का स्वाद चख लिया था इसलिए मान्यता के
अनुसार इस पक्षी की कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। कोई बीमारी एवं
वृद्धावस्था से भी इसकी मौत नहीं होती है। इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से ही
होती है।
जिस दिन किसी कौए की मृत्यु हो जाती है उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता है। कौआ अकेले में भी भोजन कभी नहीं खाता, वह किसी साथी के साथ ही मिल-बांटकर भोजन ग्रहण करता है।
कौए की योग्यता : कौआ लगभग 20 इंच लंबा, गहरे काले रंग का पक्षी है जिसके नर और मादा एक ही जैसे होते हैं। कौआ बगैर थके मीलों उड़ सकता है। कौए को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पहले से ही आभास हो जाता है।
पितरों का आश्रय स्थल : श्राद्ध पक्ष में कौओं का बहुत महत्व माना गया है। इस पक्ष में कौओं को भोजन कराना अर्थात अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती है।
कौए को भोजन कराने का लाभ : भादौ महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है। ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं। कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है।
विष्णु पुराण में श्राद्ध पक्ष में भक्ति और विनम्रता से यथाशक्ति भोजन कराने की बात कही गई है। कौए को पितरों का प्रतीक मानकर श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों तक भोजन कराया जाता है। माना जाता है कि कौए के रूप में हमारे पूर्वज ही भोजन करते हैं। कौए को भोजन कराने से सभी तरह का पितृ और कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
कौए के शकुन-अपशकुन :
* शनि को प्रसन्न करना हो तो कौवों को भोजन कराना चाहिए।
* घर की मुंडेर पर कौवा बोले तो मेहमान जरूर आते हैं।
* कौवा घर की उत्तर दिशा में बोले तो घर में लक्ष्मी आती है।
* पश्चिम दिशा में बोले तो मेहमान आते हैं।
* पूर्व में बोले तो शुभ समाचार आता है।
* दक्षिण दिशा में बोले तो बुरा समाचार आता है।
* कौवे को भोजन कराने से अनिष्ट व शत्रु का नाश होता।
गाय का रहस्य जानिए...
जिस दिन किसी कौए की मृत्यु हो जाती है उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता है। कौआ अकेले में भी भोजन कभी नहीं खाता, वह किसी साथी के साथ ही मिल-बांटकर भोजन ग्रहण करता है।
कौए की योग्यता : कौआ लगभग 20 इंच लंबा, गहरे काले रंग का पक्षी है जिसके नर और मादा एक ही जैसे होते हैं। कौआ बगैर थके मीलों उड़ सकता है। कौए को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पहले से ही आभास हो जाता है।
पितरों का आश्रय स्थल : श्राद्ध पक्ष में कौओं का बहुत महत्व माना गया है। इस पक्ष में कौओं को भोजन कराना अर्थात अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती है।
कौए को भोजन कराने का लाभ : भादौ महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है। ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं। कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है।
विष्णु पुराण में श्राद्ध पक्ष में भक्ति और विनम्रता से यथाशक्ति भोजन कराने की बात कही गई है। कौए को पितरों का प्रतीक मानकर श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों तक भोजन कराया जाता है। माना जाता है कि कौए के रूप में हमारे पूर्वज ही भोजन करते हैं। कौए को भोजन कराने से सभी तरह का पितृ और कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
कौए के शकुन-अपशकुन :
* शनि को प्रसन्न करना हो तो कौवों को भोजन कराना चाहिए।
* घर की मुंडेर पर कौवा बोले तो मेहमान जरूर आते हैं।
* कौवा घर की उत्तर दिशा में बोले तो घर में लक्ष्मी आती है।
* पश्चिम दिशा में बोले तो मेहमान आते हैं।
* पूर्व में बोले तो शुभ समाचार आता है।
* दक्षिण दिशा में बोले तो बुरा समाचार आता है।
* कौवे को भोजन कराने से अनिष्ट व शत्रु का नाश होता।
गाय का रहस्य जानिए...
गाय: गाय का थलचर जंतुओं में सबसे ऊंचा स्थान है। पुराणों के अनुसार गाय में
सभी देवताओं का वास माना गया है। गाय को किसी भी रूप में सताना घोर पाप
माना गया है। उसकी हत्या करना तो नर्क के द्वार को खोलने के समान है, जहां
कई जन्मों तक दुख भोगना होता है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।
हिन्दू धर्म में गाय को क्यों पवित्र माना जाता है?
गाय माता : गाय ही व्यक्ति को मरने के बाद वैतरणी नदी पार कराती है। भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। गाय के भीतर देवताओं का वास माना गया है। दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है।
समृद्धि देती गाय : अथर्ववेद के अनुसार- 'धेनु सदानाम रईनाम' अर्थात गाय समृद्धि का मूल स्रोत है। गाय समृद्धि व प्रचुरता की द्योतक है। वह सृष्टि के पोषण का स्रोत है। वह जननी है। गाय के दूध से कई तरह के प्रॉडक्ट (उत्पाद) बनते हैं। गोबर से ईंधन व खाद मिलती है। इसके मूत्र से दवाएं व उर्वरक बनते हैं।
गाय का रहस्य : गाय इसलिए पूजनीय नहीं है कि वह दूध देती है और इसके होने से हमारी सामाजिक पूर्ति होती है, दरअसल मान्यता के अनुसार 84 लाख योनियों का सफर करके आत्मा अंतिम योनि के रूप में गाय बनती है। गाय लाखों योनियों का वह पड़ाव है, जहां आत्मा विश्राम करके आगे की यात्रा शुरू करती है।
गाय के शकुन :
* गाय का कोई अपशकुन नहीं होता। जिस भू-भाग पर मकान बनाना हो, वहां 15 दिन तक गाय-बछड़ा बांधने से वह जगह पवित्र हो जाती है। भू-भाग से बहुत-सी आसुरी शक्तियों का नाश हो जाता है।
* गाय में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है।
* गाय का मार्ग रोकना शुभ कहा गया है।
* गाय-बछड़े के एकसाथ दर्शन सफलता का प्रतीक है।
* घर के आसपास गाय होने का मतलब है कि आप सभी तरह के संकटों से दूर रहकर सुख और समृद्धिपूर्वक जीवन जी रहे हैं।
* गाय के समीप जाने से ही संक्रामक रोग कफ, सर्दी-खांसी व जुकाम का नाश हो जाता है।
* अचानक गाय का पूंछ मार देना भी शुभ है। काली चितकबरी गाय का ऐसा करना तो और भी शुभ कहा गया है।
पंचगव्य : पंचगव्य कई रोगों में लाभदायक है। पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा किया जाता है। पंचगव्य द्वारा शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है। ऐसा कोई रोग नहीं है जिसका इलाज पंचगव्य से न किया जा सके।
चींटी का रहस्य...
वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।
हिन्दू धर्म में गाय को क्यों पवित्र माना जाता है?
गाय माता : गाय ही व्यक्ति को मरने के बाद वैतरणी नदी पार कराती है। भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। गाय के भीतर देवताओं का वास माना गया है। दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है।
समृद्धि देती गाय : अथर्ववेद के अनुसार- 'धेनु सदानाम रईनाम' अर्थात गाय समृद्धि का मूल स्रोत है। गाय समृद्धि व प्रचुरता की द्योतक है। वह सृष्टि के पोषण का स्रोत है। वह जननी है। गाय के दूध से कई तरह के प्रॉडक्ट (उत्पाद) बनते हैं। गोबर से ईंधन व खाद मिलती है। इसके मूत्र से दवाएं व उर्वरक बनते हैं।
गाय का रहस्य : गाय इसलिए पूजनीय नहीं है कि वह दूध देती है और इसके होने से हमारी सामाजिक पूर्ति होती है, दरअसल मान्यता के अनुसार 84 लाख योनियों का सफर करके आत्मा अंतिम योनि के रूप में गाय बनती है। गाय लाखों योनियों का वह पड़ाव है, जहां आत्मा विश्राम करके आगे की यात्रा शुरू करती है।
गाय के शकुन :
* गाय का कोई अपशकुन नहीं होता। जिस भू-भाग पर मकान बनाना हो, वहां 15 दिन तक गाय-बछड़ा बांधने से वह जगह पवित्र हो जाती है। भू-भाग से बहुत-सी आसुरी शक्तियों का नाश हो जाता है।
* गाय में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है।
* गाय का मार्ग रोकना शुभ कहा गया है।
* गाय-बछड़े के एकसाथ दर्शन सफलता का प्रतीक है।
* घर के आसपास गाय होने का मतलब है कि आप सभी तरह के संकटों से दूर रहकर सुख और समृद्धिपूर्वक जीवन जी रहे हैं।
* गाय के समीप जाने से ही संक्रामक रोग कफ, सर्दी-खांसी व जुकाम का नाश हो जाता है।
* अचानक गाय का पूंछ मार देना भी शुभ है। काली चितकबरी गाय का ऐसा करना तो और भी शुभ कहा गया है।
पंचगव्य : पंचगव्य कई रोगों में लाभदायक है। पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा किया जाता है। पंचगव्य द्वारा शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है। ऐसा कोई रोग नहीं है जिसका इलाज पंचगव्य से न किया जा सके।
चींटी का रहस्य...
हर समय हम चींटियों को नजरअंदाज करते हैं,
उन्हें पैरों तले कुचल देते हैं और उन्हें काटने वाले दुष्टों से अधिक कुछ
नहीं समझते। किंतु चींटी बहुत ही मेहनती और एकता से रहने वाली जीव होती है।
सामूहिक प्राणी होने के कारण चींटी सभी कार्यों को बांटकर करती है। इसमें
नर चींटी की कोई भूमिका नहीं होती है।
विश्वभर में चींटियों की लगभग 14,000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। ये 1 मिलीमीटर से लेकर 4 सेंटीमीटर तक की लंबाई की होती हैं। जिन चींटियों को हम सबसे अधिक पहचानते हैं, उनमें हैं काली चींटी, मकोड़ा। पेड़ों पर रहने वाली लाल चींटी, जो काटने के लिए मशहूर है और छोटी काली चींटी, जो गुड़ आदि मीठी चीजों की ओर अद्भुत आकर्षण दर्शाती है।
चींटी की योग्यता : चींटी के बारे में वैज्ञानिकों ने कई रहस्य उजागर किए हैं। चींटियां आपस में बातचीत करती हैं, वे नगर बनाती हैं और भंडारण की समुचित व्यवस्था करना जानती हैं। हमारे इंजीनियरों से कहीं ज्यादा बेहतर होती हैं चींटियां। चींटियों का नेटवर्क दुनिया के अन्य नेटवर्क्स से कहीं बेहतर होता है। ये मिलकर एक पहाड़ को काटने की क्षमता रखती हैं। चींटियां शहर को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। चींटियां खुद के वजन से 100 गुना ज्यादा वजन उठा सकती हैं। मानव को चींटियों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
चींटी का मुख्य कार्य है- वृक्ष तथा झाड़ी आदि के आसपास मरे हुए छोटे-छोटे जीवों को खाकर उन्हें समाप्त करना, गंदगी को दूर करना, उनके द्वारा हो सकने वाली बीमारी के भय के कारण को खत्म करना। यह कार्य इतना सूक्ष्म है कि इसे और कोई प्राणी नहीं कर सकता।
चींटियों को भोजन : चींटियां दो प्रकार की होती हैं- लाल और काली। इनमें से लाल को अशुभ और काली को शुभ माना गया है। दोनों ही तरह की चींटियों को आटा डालने की परंपरा प्राचीनकाल से ही विद्यमान है। चींटियों को शकर मिला आटा डालते रहने से व्यक्ति हर तरह के बंधन से मुक्त हो जाता है। हजारों चींटियों को प्रतिदिन भोजन देने से वे चींटियां उक्त व्यक्ति को पहचानकर उसके प्रति अच्छे भाव रखने लगती हैं और उसको वे दुआ देने लगती हैं। चींटियों की दुआ का असर आपको हर संकट से बचा सकता है।
* लाल चींटियों की कतार मुंह में अंडे दबाए निकलते देखना शुभ है। सारा दिन शुभ और सुखद बना रहता है।
* जो चींटी को आटा देते हैं और छोटी-छोटी चिड़ियों को चावल देते हैं, वे वैकुंठ जाते हैं।
* कर्ज से परेशान लोग चींटियों को शकर और आटा डालें। ऐसा करने पर कर्ज की समाप्ति जल्दी हो जाती है।
अंत में गाय को खिलाने से घर की पीड़ा दूर होगी। कुत्ते को खिलाने से दुश्मन आपसे दूर रहेंगे। कौए को खिलाने से आपके पितृ प्रसन्न रहेंगे। पक्षी को खिलाने से व्यापार-नौकरी में लाभ होगा। चींटी को खिलाने से कर्ज समाप्त होगा और मछली को खिलाने से समृद्धि बढ़ेगी।
विश्वभर में चींटियों की लगभग 14,000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। ये 1 मिलीमीटर से लेकर 4 सेंटीमीटर तक की लंबाई की होती हैं। जिन चींटियों को हम सबसे अधिक पहचानते हैं, उनमें हैं काली चींटी, मकोड़ा। पेड़ों पर रहने वाली लाल चींटी, जो काटने के लिए मशहूर है और छोटी काली चींटी, जो गुड़ आदि मीठी चीजों की ओर अद्भुत आकर्षण दर्शाती है।
चींटी की योग्यता : चींटी के बारे में वैज्ञानिकों ने कई रहस्य उजागर किए हैं। चींटियां आपस में बातचीत करती हैं, वे नगर बनाती हैं और भंडारण की समुचित व्यवस्था करना जानती हैं। हमारे इंजीनियरों से कहीं ज्यादा बेहतर होती हैं चींटियां। चींटियों का नेटवर्क दुनिया के अन्य नेटवर्क्स से कहीं बेहतर होता है। ये मिलकर एक पहाड़ को काटने की क्षमता रखती हैं। चींटियां शहर को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। चींटियां खुद के वजन से 100 गुना ज्यादा वजन उठा सकती हैं। मानव को चींटियों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
चींटी का मुख्य कार्य है- वृक्ष तथा झाड़ी आदि के आसपास मरे हुए छोटे-छोटे जीवों को खाकर उन्हें समाप्त करना, गंदगी को दूर करना, उनके द्वारा हो सकने वाली बीमारी के भय के कारण को खत्म करना। यह कार्य इतना सूक्ष्म है कि इसे और कोई प्राणी नहीं कर सकता।
चींटियों को भोजन : चींटियां दो प्रकार की होती हैं- लाल और काली। इनमें से लाल को अशुभ और काली को शुभ माना गया है। दोनों ही तरह की चींटियों को आटा डालने की परंपरा प्राचीनकाल से ही विद्यमान है। चींटियों को शकर मिला आटा डालते रहने से व्यक्ति हर तरह के बंधन से मुक्त हो जाता है। हजारों चींटियों को प्रतिदिन भोजन देने से वे चींटियां उक्त व्यक्ति को पहचानकर उसके प्रति अच्छे भाव रखने लगती हैं और उसको वे दुआ देने लगती हैं। चींटियों की दुआ का असर आपको हर संकट से बचा सकता है।
* लाल चींटियों की कतार मुंह में अंडे दबाए निकलते देखना शुभ है। सारा दिन शुभ और सुखद बना रहता है।
* जो चींटी को आटा देते हैं और छोटी-छोटी चिड़ियों को चावल देते हैं, वे वैकुंठ जाते हैं।
* कर्ज से परेशान लोग चींटियों को शकर और आटा डालें। ऐसा करने पर कर्ज की समाप्ति जल्दी हो जाती है।
अंत में गाय को खिलाने से घर की पीड़ा दूर होगी। कुत्ते को खिलाने से दुश्मन आपसे दूर रहेंगे। कौए को खिलाने से आपके पितृ प्रसन्न रहेंगे। पक्षी को खिलाने से व्यापार-नौकरी में लाभ होगा। चींटी को खिलाने से कर्ज समाप्त होगा और मछली को खिलाने से समृद्धि बढ़ेगी।
उत्तम लेख
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दी है आपने सभी 3 जानवरों के बारे में - हमारे जीवन में हर जिव-जन्तु का महत्व होता है, गाय, कौए, कुत्ता से ले कर हर पशु पक्षी का
ReplyDeletehttp://www.hindiremedy.com/about-crow-bird-in-hindi/ यहाँ पर भी कौवे से जुडी अच्छी जानकारी दी गयी है |
Bht acche jankare h
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ज्ञानवर्धक जानकारी है !!☺️💐
ReplyDelete
ReplyDeleteकौवा पक्षी की जानकारी